Friday 15 July 2016

सेक्स क्रिया में अधिक आनन्द लेने के तरीके

परिचय- 
सेक्स क्रिया को लम्बे समय तक खींचने के लिए कुछ विशेष तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है जो सेक्स के आनन्द को कई गुना बढ़ा देती है। आज कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से यह ज्ञात हो चुका है कि लगभग 85 प्रतिशत पुरुषों का वीर्यपात सेक्स क्रिया के दौरान दो मिनट में ही हो जाता है। कुछ तो ऐसे भी पुरुषों का पता चला है कि वे 10 से 20 सेकण्ड में ही और कुछ योनि में लिंग को प्रवेश करने के बाद ही स्खलित हो जाते हैं। कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो योनि में लिंग को प्रवेश कराने से पहले ही आलिंगन चुम्बन के समय ही स्खलित हो जाते हैं। ऐसे पुरुष कभी भी अपने पत्नी को सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द नहीं दे पाते। इस स्थिति में ऐसे पुरुष वैद्य-हकीमों के चक्करों में पड़कर अपने धन तथा स्वास्थ्य को भी नष्ट कर देते हैं।
पुरुषों के शीघ्रपतन को दूर करने के लिए बहुत से चिकित्सकों ने कई तरीकों की खोज की है। इन तरीकों को सावधानी से अपनाने से शीघ्रपतन की समस्या से बचा जा सकता है और सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द भी लिया जा सकता है।
सेक्स क्रिया करने के कुछ तरीके निम्न हैं-
1. सेक्स क्रिया करने से पहले स्त्री को पूरी तरह से उत्तेजित करना चाहिए। जब स्त्री पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए तब उसके साथ संभोग करना चाहिए और कुछ देर तक अपने लिंग को स्त्री की योनि में डालकर झटके (स्ट्रोक) लगायें तथा इसके बाद कुछ देर के लिए हट जाएं। इसके बाद फिर से स्त्री की योनि के मुख (भगनासा) को खोले और दुबारा स्ट्रोक लगाकर-लगाकर घर्षण करें। इस प्रकार से दो से तीन बार सेक्स क्रिया करें। इससे स्त्री-पुरुष दोनों को भरपूर आनन्द मिलेगा। इस प्रकार पूर्ण रूप से आनन्द लेते-लेते एक समय ऐसा आयेगा जब आप स्खलित हो जायेंगे और आपको पूर्ण आनन्द मिलेगा। इस तरह से सेक्स क्रिया करने से स्त्री कई बार चरम सुख प्राप्त करती है और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया भी चलती है।
2. सेक्स क्रिया करते समय स्खलन होने से पहले ही लिंग को योनि से बाहर निकाल दें और शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करते समय बीच में ही स्खलित होने की स्थिति बन जाए तो जबर्दस्ती अपने वीर्य को रोके नहीं क्योंकि इससे शारीरिक कमजोरी उत्पन्न होती है। इस स्थिति में संभोग करते समय स्खलित होने के कुछ देर बाद अपने को फिर से सेक्स क्रिया के लिए तैयार करें।
3. सेक्स क्रिया करते समय पुरुष को चाहिए कि स्त्री की योनि में लिंग प्रवेश करके स्ट्रोक लगाने में जल्दबाजी न करें क्योंकि इससे जल्दी ही स्खलन हो जाता है। अतः स्ट्रोक धीरे-धीरे लगायें। ऐसा करने से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करते समय अपने मन में स्ट्रोक की गिनती करते जाएं और जब स्खलन होने लगे तब स्ट्रोक लगाना बंद कर दें। फिर अपनी आंखों को बंद करके शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करना शुरू कर दें और गिनती गिनते जाएं।
4. यदि किसी व्यक्ति को शीघ्रपतन की शिकायत हो तो वह सेक्स क्रिया करने से एक दो घंटे पहले हस्तमैथुन करके वीर्य को निकाल दे। इसके बाद जब आप सेक्स क्रिया करेंगे तो उस समय शीघ्रपतन का भय नहीं रहेगा और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया का आनन्द भी ले सकेंगे।
5. सेक्स क्रिया करते समय लंबी-लंबी सांसे लेने की आदत डालें। इससे सेक्स क्रिया में पूर्ण रूप से आनन्द मिलता है।
6. अगर सेक्स क्रिया करते वक्त स्खलन का एहसास हो तो किसी दूसरी चीज की ओर अपना ध्यान लगाएं, इससे स्खलन होने की संभावना रुक जाती है। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस तरह की क्रिया कई बार करें। इससे भरपूर आनन्द मिलेगा।
7. सेक्स क्रिया के दौरान वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो अपनी गुदा को संकुचित कर लें और कुछ समय तक इसी अवस्था में रुके रहे हैं। इससे स्खलन की स्थिति रुक जाती है।
8. संभोग करते वक्त जब योनि को लिंग में प्रवेश करें तब उस समय अपनी गुदा को संकुचित कर लें और लिंग के स्नायुओं को भी सिकोड़ लें। इस स्थिति में रहने के साथ ही स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करें। इस तरीके से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक बनी रह सकती है।
9. यदि आपको शीघ्रपतन की शिकायत हो तो सेक्स क्रिया करने से लगभग 10-15 मिनट पहले लिंग के मुंड पर जायलोकेन मलहम लगा लें। ऐसा करने से लिंग मुंड की त्वचा में संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और शीघ्रपतन नहीं होता है।
10. यदि सेक्स क्रिया करने से पहले यह पता लग जाए कि लिंग मुंड संवेदनशील हो गया है तो उस पर टेल्कम पाउडर लगा दें। इससे संवेदनशीलता खत्म हो जाती है।
11. लिंग में अधिक उत्तेजना होने के कारण से वह अधिक टाइट हो गया हो तो इस पर रबड़ बैंड चढ़ा लें, ध्यान रहे कि रबड़ बैंड अधिक कसा न हो और न ही अधिक ढीला, क्योंकि ऐसा करने से लिंग में खून का बहाव लंबे समय तक रहेगा और सेक्स क्रिया देर तक चलेगी।
12. सेक्स क्रिया करते समय जब वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न होने लगे तो स्ट्रोक लगाकर घर्षण करने का काम बंद कर दें और तुरंत अपनी जननन्द्रियों को पेट के अन्दर की तरफ खींचे। इस स्थिति में जननेन्द्रियों को तब तक खींचे रखें जब तक वीर्य स्खलन की स्थिति खत्म न हो जाए। इसके कुछ समय बाद स्ट्रोक लगाना शुरू कर दें। इस प्रकार से क्रिया करने से सेक्स क्रिया का समय देर तक बना रहता है। इस तरीके से संभोग करने की कला को योनिमुद्रा कहते हैं।
13. सेक्स क्रिया करते समय यदि वीर्य स्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो इसको रोकने के लिए अपने फेफड़े की भरी हुई वायु को जोर से बाहर की ओर फेंके। ऐसा करने से वीर्य स्खलन को रोकने में लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है। इससे स्खलन की अनुभूति भी गायब हो जाती है। इसके बाद दुबारा से सेक्स क्रिया करना शुरू करें। इस प्रकार से सेक्स क्रिया के दौरान कई बार दोहरा भी सकते हैं। इस तरीके से सेक्स क्रिया करने से संभोग कला का समय बढ़ जाता है।
14. वीर्य स्खलन होते समय जितना अपने पेट को अन्दर खींच सकते हो खींचे और सांस को अन्दर की ओर न लें बल्कि अन्दर की सांस को बाहर की ओर फेंके। पेट को अन्दर की ओर खींचने से खाली जगह बन जाती है और काम केंद्र के आस-पास की शक्ति नाभि की ओर आ जाती है तथा वीर्य स्खलन होना रुक जाता है।
15. सेक्स क्रिया करते समय नाक के दांये भाग से सांस लेते रहें, इससे सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। नाक के बांये भाग से सांस न लें क्योंकि यह भाग ठंडा होता है और ऐसा करने से सेक्स शक्ति में कमी आती है। नाक के दांये भाग से सांस लेने के लिए अपने दाएं हाथ की मुट्ठी बायें बगल में रखकर बगल को जोर-जोर से दबाएं और करवट लेट जाए। इस प्रकार से क्रिया करने से दायां स्वर चालू हो जाएगा।
सेक्स क्रिया के दौरान जल्दी वीर्यपात होने के कुछ कारणों की खोज-
भय-
सेक्स संबंधों के दौरान मन में भय होने से भी जल्दी वीर्यपात हो सकता है। अतः इसको दूर करने के लिए भय होने के मूल कारणों को जानना बहुत जरूरी है। यदि इसके होने के कारणों को पता लग जाए तो भय से मुक्ति पाना आसान हो जाता है। जीवन में भय अगर अधिक हो तो इसके घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि भय से अनेक गंभीर, घातक तथा असाध्य रोग उत्पन्न होते हैं। अधिकांश रोगों के होने के कारण तो मुख्य रूप से भय ही होता है। कुछ लोग तो ऐसे भी देखे गये हैं कि वे सांप के काटने के भय से ही मृत्यु के मुंह में चले जाते हैं।
भय एक ऐसी मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है जिसके कारण सेक्स क्रिया से संबंधित रोग होने के अलावा व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। उदाहरण के लिए- चार-पांच साल पहले एक किसान खेत में पानी दे रहा था तभी किसी कीड़े ने उसके पैर में काट लिया और कटे हुए स्थान से खून निकलने लगा। इसके बाद उसने खेत में इधर-उधर ध्यान से देखा लेकिन वहां पर कुछ भी दिखाई नहीं दिया। इसके बाद वह घर पर आया और कटे हुए स्थान पर पट्टी बांध ली। कुछ दिनों बाद जब वह दुबारा से खेत में पानी देने के लिये गया तो उसने वहां पर एक सांप देखा। सांप को देखकर उसके मन में विचार आया कि पिछली बार शायद पानी देने के दौरान इसी सांप ने काटा था और यही बात उसके मन में बैठ गयी। इसी भय के कारण किसान ने चारपाई पकड़ ली। कुछ समय बाद ही भय के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इस कहानी से स्पष्ट होता है कि भय के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
शीघ्रपतन से पीड़ित रोगी को कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे सामने केवल दो विकल्प हैं। पहला यह कि मुझे कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है तथा दूसरा यह की मेरे इस रोग को केवल वैद्य और हकीम ही ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार सोचने के कारण से यह रोग बढ़ता ही जाता है तथा रोगी वैद्य और चिकित्सक के चक्कर में फंसकर अपने धन तथा स्वास्थ्य को बरबाद कर लेते हैं।
शीघ्रपतन को दूर करने के लिए इसके कारणों को जनना बहुत जरूरी हैं, शीघ्रपतन के निम्न कारण होते हैं-
1. हस्तमैथुन– कुछ लोगों में सेक्स क्रिया के प्रति इतनी तेज उत्तेजना होती है कि वे बचपन से ही हस्तमैथुन करके अपने वीर्य को नष्ट करते रहते हैं, जिसके कारण से वे शीघ्रपतन का शिकार हो जाते हैं। उन्हें यह भी भय हो जाता है कि वीर्य नष्ट होने का सबसे बड़ा कारण शीघ्रपतन है। जबकि इस भय को मन से निकाल देना चाहिए क्योंकि वीर्य न तो किसी थैली में जमा होता रहता है और न ही वह खून में मिलकर शरीर को बलवान बनाता है। किशोरावस्था में लोग कुछ समय तक
हस्तमैथुन करके अपनी उत्तेजना को शांत कर लेते हैं, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। वैसे देखा जाए तो यह एक अप्राकृतिक प्रक्रिया है जो नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी मानसिक तनाव तथा सेक्स क्रिया की उत्तेजना को शांत करने के लिए हस्तमैथुन कर लेना न तो कोई अनैतिक कार्य है और न ही इससे शरीर कमजोर होता है। अतः कहा जा सकता है कि हस्तमैथुन का भय पूर्ण रूप से काल्पनिक होता है। यदि इस भय से मुक्ति मिल जाए तो शीघ्रपतन से छुटकारा मिल सकता है। वैसे देखा जाए तो हस्तमैथुन सुनने और पढ़ने में कुछ अजीब सा लगता है कि हस्तमैथुन के द्वारा किस प्रकार से शीघ्रपतन को रोका जा सकता है? या हस्तमैथुन के द्वारा संभोग कला के समय को बढ़ाया सकता है? लेकिन शीघ्रपतन को दूर करने का वह तरीका है जिसको पति-पत्नी संभोग करते समय प्रयोग करें तो लाभ मिलेगा। इस क्रिया में पति चाहे तो हस्तमैथुन का प्रयोग करना आरम्भ कर दे लेकिन यह क्रिया स्खलन तक जारी न रखे। यदि पति स्वयं हस्तमैथुन कर रहा है तो उसे इस क्रिया को तब बंद कर देना चाहिए जब वह स्खलन बिंदु तक पहुंचने वाला हो, इस स्थिति में जब स्खलन की स्थिति टल जाए तो कुछ समय तक आराम करना चाहिए। फिर इसके बाद इस क्रिया को दुबारा से करें। ऐसा करने से शीघ्रपतन की समस्याएं दूर होने लगेंगी और संभोग क्रिया करने के प्रति आत्मविश्वास भी जागेगा। इस प्रकार से संभोग के समय को बढ़ाने से सेक्स क्रिया के समय में वृद्धि होती है। इस क्रिया को पति अपनी पत्नी से भी करा सकता है। लेकिन इस क्रिया को पत्नी से कराने पर सावधान रहना चाहिए। पत्नी से हस्तमैथुन कराते समय अपने स्खलन के समय पर ध्यान रखना चाहिए तथा जैसे ही स्खलन होने को हो वैसे ही अपनी पत्नी को कुछ भी हरकत करने से मना कर देना चाहिए। इसके बाद कुछ देर तक आराम करना चाहिए और फिर से पत्नी को यही क्रिया करने के लिए करना चाहिए। इस क्रिया को चार-पांच बार करना चाहिए। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से संभोग का समय लम्बा जाता है।
2. स्वप्नदोष- स्वप्नदोष का भय भी शीघ्रपतन होने का कारण हो सकता है। इससे 11 से 18 वर्ष के बालकों तथा युवकों को बहुत अधिक परेशानी होती है तथा उनमें हीन भावना भी पैदा कर देती है। स्वप्नदोष एक प्रकार की सेफ्टीवाल्व की प्रक्रिया है। प्रकृति ने मनुष्यों में वीर्य के उत्पादन तथा संचयन में तालमेल रखने के लिए स्वचालित तनाव मुक्ति (आटो टेंशन रिलीज) की शक्ति प्रदान की है। यदि ऐसा न होता तो युवक अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाते। यहां यह जानना बहुत आवश्यक है कि बहुत से ऐसे भी व्यक्ति देखे गये हैं जो विवाहित हैं फिर भी अपनी पत्नी से बहुत दिनों तक संभोग न करने के कारण स्वप्नदोष से पीड़ित हो जाते हैं। कभी-कभी तो अधेड़ उम्र के लोगों को भी स्वप्नदोष हो जाता है क्योंकि नाती-पोते वाले हो जाने के कारण से वे अपनी पत्नी को संभोग क्रिया के लिए समय नहीं दे पाते जिसके कारण से कभी-कभी उन्हें स्वप्नदोष हो जाता है। सेक्स क्रिया की अधिक चिंता करने के कारण व्यक्ति बार-बार कामोत्तेजित हो जाते हैं जिसके कारण से वे हस्तमैथुन करने की कोशिश करते हैं और जब वे इससे भी अपनी उत्तेजना को शांत नहीं कर पाते हैं तो प्राकृतिक स्वप्नावस्था में उनको मानसिक तनाव एवं उत्तेजना होकर यह क्रिया हो जाती है। अतः कहा जा सकता है कि स्वप्नदोष से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। देखा जाए तो यह मानसिक संतुलन को बनाये रखने के लिए मात्र एक स्वचालित प्रक्रिया है। इसलिए सकारात्मक सोच से आत्मविश्वास में दृढ़ता आती है तथा भय अपने आप ही दूर हो जाता है। इस सोच को अपनाने से भय आत्मविश्वास के सामने टिक नहीं पाता है। इस प्रकार भय को खत्म करने के लिए मन में बार-बार सकारात्मक सोच अपनाना चाहिए और मन में हमेशा यह विचार बनाये रखना चाहिए कि स्वप्नदोष को मानसिक और शारीरिक कमजोरी नहीं है, मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, मुझमें पौरुष शक्ति की कोई कमी नहीं है, सेक्स क्रिया करने की मुझमें पूरी शक्ति विद्यमान है। इस प्रकार की भावना जैसे-जैसे मन में आती जाएगी वैसे-वैसे स्खलन पर नियंत्रण भी होता जाएगा।
3. लैंगिक उत्तेजना के समय पारदर्शी तरल पदार्थ आना- कई युवक तो ऐसे भी होते हैं जो लैंगिक उत्तेजना के समय में रंगहीन पारदर्शी तरल पदार्थ से भयभीत हो जाते हैं। इस प्रकार के पारदर्शी तरल पदार्थों को देखकर वे सोचने लगते हैं कि उनमें किसी प्रकार की कमजोरी तो नहीं है। वे यह भी सोचने लगते हैं कि इस कमजोरी के कारण ही वीर्य इतनी जल्दी-जल्दी बार-बार आ रहा है। लेकिन देखा जाए तो यह पारदर्शी तरल पदार्थ वीर्य नहीं होता है। यह तो केवल वह तरल पदार्थ है जो काउपर ग्रंथि से निकलने वाला मात्र एक तरल पदार्थ है जो लिंग के मूत्रमार्ग को चिकना करने की स्वचालित प्रक्रिया है। यह धीरे-धीरे रिसता हुआ निकलता रहता है। अगर प्रकृति ने यह क्रिया न दी होती तो वीर्य स्खलन के समय हमारा मूत्रमार्ग कई जगह से छिल जाता है और मूत्र त्याग करते समय दर्द तथा जलन होती है। वीर्य स्खलन के समय इसका वेग काफी तेज होता है, यह भी प्रकृति का ही वरदान है। वीर्य इतनी तेज गति से बाहर इसलिए निकलता है ताकि वह सीधे गर्भाशय के मुख से सम्पर्क करें और शुक्राणु सरलतापूर्वक गर्भाशय के अंदर पहुंचकर डिम्ब से सम्पर्क कर सकें।
गहरी तथा नियंत्रित सांस लेने की तकनीक-
सेक्स क्रिया के समय भरपूर आनन्द लेने के लिए उत्तेजना के समय गहरी एवं समुचित ढंग से सांस लेने का अभ्यास करना चाहिए। वैसे देखा जाए तो संभोग के समय सांस की गति बढ़ जाती है और उत्तेजना की तीव्रता के साथ सांस की रफ्तार भी तेज हो जाती है। सेक्स करते समय पति को चाहिए कि स्वाभाविक रूप से गहरी सांस ले और कुछ सेकण्ड तक सांस को भीतर ही रोके रखें तथा फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़ें। इस क्रिया को चार से पांच बार दोहराने से पति को अहसास होने लगेगा कि उसके शरीर और मन से तनाव गायब हो चुका है। इसके बाद कुछ समय तक आराम करने के बाद फिर से इस क्रिया को दोहराना चाहिए। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से पति को अहसास होगा कि सेक्स उत्तेजना पर नियंत्रण रखने में उसे पहली सफलता मिल गई है। इस क्रिया से सेक्स करने से वीर्य स्खलन केंद्र पर नियंत्रण हो जाएगा और मन का भय भी समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही मानसिक तनाव दूर हो जाने पर कामांग भी स्वाभाविक रूप से कार्य करने लगेंगे।
कभी-कभी बहुत से व्यक्तियों के मन में यह आशंका उठ सकती है कि जननेन्द्रियों पर नियंत्रण रखना आसान नहीं होता लेकिन हम सब जननेन्द्रियों पर नियंत्रण रखने में सफल हो सकते हैं, उसी तरह कामोत्तेजना पर नियंत्रण रखना भी संभव हो सकता है। जब संवेगों पर नियंत्रण हो जाता है तब शरीर एवं मन में एक रागात्मक तालमेल बैठ जाता है और दोनों ही पूर्ण संतुलन के साथ चरम बिंदु पर अग्रसर हो जाते हैं।
चिन्तन में अन्तर्विरोध-
चिन्तन में अन्तर्विरोध मनोवैज्ञानिक उपचार है जो सेक्स क्रिया के समय उत्तेजक बातें, दृश्य या सेक्स उत्तेजना को तेज करती हैं और शीघ्रपतन की अवस्था को पैदा करती हैं। इस स्थिति को रोकने के लिए संभोग के समय में लिंग को योनि में प्रवेश करते वक्त और घर्षण के समय जब काम-क्रीड़ा के खेल के विचारों को त्याग देते हैं तो उसे ही अपना ध्यान सेक्स से अन्य मन विचारों की ओर मोड़ देने की कला कहते हैं।
इस समय किसी यात्रा, पिकनिक, भाषण या मीटिंग पर ध्यान केंद्रित करने से कमोत्तेजना पर काबू पाया जा सकता है। संभोग से ध्यान हटा लेने से वीर्य स्खलन का समय बढ़ जाता है। शीघ्रपतन को दूर करने के लिए जो-जो क्रिया अपनाई जाती है, उनका बार-बार अभ्यास करने से शीघ्रपतन से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन किसी भी अप्रिय या भय वाली घटना पर ध्यान केन्द्रित करने से कामोत्तेजना अचानक ही बैठ जाती है और लैंगिक उत्तेजना ठंडी पड़ जाती है। अतः ध्यान केन्द्रित करने में सावधानी बरतनी चाहिए और सेक्स क्रिया करते समय उन घटनाओं को कभी भी याद नहीं करना चाहिए जिनसे किसी प्रकार से हानि हों।
सेक्स क्रिया के समय घर्षण पर नियंत्रण-
बहुत से ऐसे पुरुष होते हैं जो सेक्स क्रिया के समय में स्ट्रोक लगाने के समय कामवासना के कारण जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं तथा जननेन्द्रिय को नियंत्रण में न रखने के अभाव में योनि में लिंग को डालकर तुरंत ही घर्षण प्रारम्भ कर देते हैं और जल्दी-जल्दी स्ट्रोक लगाना शुरू कर देते हैं। इस स्थिति में वे उत्तेजना के कारण अपने आप पर काबू नहीं रख पाते और तीन-चार स्ट्रोक लगाने के बाद ही स्खलित हो जाते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि लिंग को योनि में प्रवेश करने के तुरंत बाद ही स्ट्रोक लगाना शुरू नहीं करना चाहिए। सेक्स क्रिया में जब लिंग को योनि में प्रवेश कराते हैं तो लगभग 10 से 15 सेकण्ड तक स्ट्रोक नहीं लगाना चाहिए बल्कि लिंग को योनि में चुपचाप पड़े रहने देना चाहिए और जब उत्तेजना का वेग कम पड़ जाए तब धीरे-धीरे घर्षण शुरू करना चाहिए। उत्तेजना यदि अधिक बढ़ने लगे तो स्ट्रोक लगाना बंद करके लिंग को योनि से बाहर निकाल लेना चाहिए। इसके बाद 5 से 10 सेकण्ड आराम करना चाहिए। आराम करने के बाद फिर से स्ट्रोक लगा-लगाकर धीरे-धीरे घर्षण शुरू कर देना चाहिए। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से पुरुष को यह महसूस होगा कि इस बार उत्तेजना कुछ हद तक काबू में आ गई है। जैसे ही आपका स्खलन होने लगे वैसे ही लिंग को योनि से बाहर निकाल ले, इससे स्खलन रुक जाएगा। इस प्रकार से संभोग करते समय प्रत्येक बार आराम करने के बाद उत्तेजना पर नियंत्रण बढ़ता जाएगा और चार से पांच बार इस प्रकार से संभोग करने से स्खलन के समय पर पूरी तरह से नियंत्रण हो जाएगा। जब उत्तेजना पर नियंत्रण हो जाए तो फिर स्ट्रोक की गति को बढ़ाया जा सकता है और फिर एक स्थिति ऐसी भी आ सकती है जिसमें तेज धक्के लगाने पर भी स्खलन नहीं होगा। इस विधि से सेक्स क्रिया 15 मिनट से एक घण्टे तक की जा सकती है। घर्षण रोकने की क्रिया को अधिक से अधिक तीन से चार बार ही रोकना चाहिए, यदि इससे अधिक बार रोका गया तो स्खलन होने में बहुत अधिक रुकावट उत्पन्न हो सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि स्खलन कैसे हो। वीर्य स्खलन बहुत देर तक रुक जाना भी कष्टदायक होता है क्योंकि बार-बार वीर्य स्खलन में रुकावट उत्पन्न होने से स्खलन केन्द्र पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है और पुरुष स्खलन के अभाव में पसीने-पसीने से तर होकर बेचैन होने लगता है। ऐसा होने से पुरुष को वह सेक्स का सुख भी नहीं मिल पाता जोकि उसे मिलना चाहिए। इस स्थिति में ऐसा भी हो सकता है कि पत्नी पहले ही स्खलित (चरम बिंदु) हो जाए। घर्षण करने पर पत्नी को बहुत अधिक कष्ट होता है और खुद भी स्खलित न होने के कारण मानसिक तनाव तथा शारीरिक कष्ट होता है। इसलिए इस विधि का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।
सेक्स क्रिया करते समय उत्तेजना पर नियंत्रण रखना-
संभोग क्रिया के समय को बढ़ाने के लिए सेक्स उत्तेजना पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि शीघ्र स्खलित हो जाने के कारण से पति-पत्नी को सेक्स का भरपूर आनन्द नहीं मिल पाता है। इसलिए सेक्स क्रिया करते समय यदि आवश्यकता से अधिक उत्तेजित हो जाए तो कुछ समय के लिए लिंग से घर्षण करना बंद करके आराम करें, इससे कमोत्तेजना का वेग कुछ कम हो जाएगा। इस क्रिया को करते समय जब उत्तेजना का वेग कुछ कम हो जाए तब स्त्री को दुबारा से आलिंगन तथा चुम्बन करना शुरू कर दें, इससे स्त्री को आपसे बहुत अधिक सुख मिलेगा।
स्त्री के स्तनों के निप्पल को अधिक देर तक चूसना तथा स्तनों को दबाना कामोत्तेजना को भड़काने वाला होता है। अतः इस क्रिया को करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। चुम्बन तथा चूसने की क्रिया ज्यादा करने से भी शीघ्र स्खलन होने का डर होता है। अतः सेक्स क्रिया का अधिक से अधिक आनन्द लेने के लिए इसका कम से कम ही प्रयोग करें।
संभोग क्रिया करते समय यदि पत्नी को यह पता चल जाए कि मेरा पति मुझसे अधिक कामोत्तेजक है तो ऐसी अवस्था में उसे अपनी पति से यह कहना चाहिए कि लिंग को तुरंत ही योनि में न डाले और न ही तेज स्ट्रोक लगाकर घर्षण करें। इस स्थिति में पत्नी को चाहिए कि वह अपने पति का पूरी तरह से साथ दे और पति को सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द दें तथा लें।
सेक्स क्रिया के समय पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को सेक्स का भरपूर आनन्द दें और पत्नी को पूरी तरह से सेक्स के लिए उत्तेजित करें। यदि आपने ऐसा न किया तो हो सकता है कि तुम्हारी पत्नी सेक्स क्रिया के समय सेक्स के प्रति ठंडी पड़ी रहेगी और उसकी योनि मार्ग में तरलता उत्पन्न नहीं होगी। यदि पत्नी की योनि शुष्क हो जाए तो लिंग को योनि में प्रवेश करने में दिक्कत आती है और घर्षण करना भी मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में पत्नी को सेक्स क्रिया का खेल खेलने में कष्ट होगा तथा पति भी दो-चार घर्षण के बाद ही स्खलित हो जाएगा। अतः पति को चाहिए कि पत्नी को सेक्स क्रिया के दौरान उसे पहले उत्तेजित सीमा तक पहुंचाने का काम करें। लेकिन यह भी ध्यान रखे कि अपने को शीघ्र स्खलन की स्थिति तक न पहुंचे। धैर्य और संयम के मेल से अपनी पत्नी को सेक्स उत्तेजना की सीमा रेखा तक पहुंचाएं और फिर सेक्स क्रिया का पूरा आनन्द लें और पत्नी को भी भरपूर आनन्द दें।
शीघ्र स्खलन को रोकने के लिए कुछ तरीके-
ठीक प्रकार से सेक्स क्रिया करने से शीघ्र स्खलन होने की समस्या को रोका जा सकता है तथा सेक्स क्रिया को लम्बे समय तक आनन्द लिया जा सकता है। यदि सेक्स करने के दौरान कुछ भी असावधानी बरतेंगे तो इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अतः शीघ्र स्खलन की समस्या को रोकने के लिए कुछ तरीके दिये जो रहे हैं जो इस प्रकार हैं-
1. संभोग क्रिया करते समय पत्नी को चाहिए कि अपने पति के लिंग को पकड़कर सहलाए। इससे लिंग में कोमल स्पर्श पड़ने के कारण तनाव उत्पन्न होने लगता है। इस क्रिया में पत्नी को चाहिए कि लिंग को धीरे-धीरे पकड़ कर दबाती रहे और लिंग जब पूरी तरह हो उत्तेजित जाए या स्खलन की स्थिति उत्पन्न होने लगे तो पति को चाहिए कि पत्नी को कहे कि लिंग को थोड़ी देर के लिए दबाना छोड़ दें। इसके बाद कुछ देर तक अन्य चीज पर ध्यान केंद्रित कर लें ताकि स्खलन होने के संकट को टाला जा सकें। कुछ देर बाद जब स्खलन की स्थिति टल जाए तो फिर से वही क्रिया अपनाएं। इस सेक्स क्रिया के तरीके को अपनाने से शीघ्र स्खलन की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
2. पति के वीर्य स्खलन के समय को बढ़ाने के लिए पत्नी को चाहिए कि अपने पति के वीर्य स्खलन के समय में रुकावट पैदा करें। इसके लिए एक यह तरीका अपनाया जा सकता है जैसेकि पति-पत्नी को सेक्स क्रिया करने के लिए एक ही बिस्तर पर निर्वस्त्र अवस्था में लेट जाना चाहिए। इस अवस्था में पति को चाहिए कि अपनी तेज होती उत्तेजना के प्रति ध्यान रखें और स्खलन की स्थिति पर पहुंचने से पहले ही एक-दूसरे को उत्तेजित करने की प्रक्रिया को बंद करके एक-दूसरे को शरीर से थोड़ा हटकर दूसरी ओर ध्यान लगा लें। सेक्स क्रिया के समय में इस तरीके का प्रयोग कई बार दोहरा सकते हैं। इस तरह से संभोग करने से पति की चिंता और भय दूर होने लगता है और संभोग कला के समय में वृद्धि होने लगती है। इस क्रिया के प्रयोग से पति अपने कामोत्तेजना के समय में नियंत्रण पा लेता है। इस तरह से संभोग करने की क्रिया में सफलता धीरे-धीरे मिलती है। यदि इस क्रिया का प्रयोग करते समय एक-दो बार असफल भी हो जाए तो दुःखी न हो और न ही अपने प्रयास रोकें। पति-पत्नी को यह कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि कोशिश करने से ही सफलता प्राप्त होती है।
3. सेक्स क्रिया के दौरान पति के शीघ्र स्खलन को रोकने के लिए इस प्रकार का तरीका अधिक लाभकारी हो सकता है जैसेकि पत्नी को चाहिए कि वह पलंग पर बैठकर अपनी दोनों टागों को फैलाकर अपने पति के सामने की ओर खोल दे। इसके बाद पति को चाहिए कि अपनी टांगों को पत्नी की जांघों के ऊपर रखें। इसके बाद अपने घुटने को थोड़ा सा ऊपर उठाकर रखें ताकि अपनी टांगों का बोझ पत्नी के ऊपर न पड़ने दें। इसके बाद पत्नी को चाहिए कि लिंग को हाथ में पकड़कर धीरे-धीरे सहलाए। इससे लिंग उत्तेजित होकर तन जाता है। लिंग जब पूरी तरह से तन जाए तो पत्नी को चाहिए कि लिंगमुंड को अंगूठे तथा पहली दो अंगुलियों से पकड़कर दबाए। इस क्रिया में पत्नी को ध्यान रखना चाहिए कि अंगूठे को लिंगमुण्ड के उस भाग पर रखे, जहां पर फ्रीनम (Freenum) स्थित होता है तथा पहली अंगुली को लिंगमुण्ड पर और बीच की उंगली को लिंगमुण्ड के किरीट (Corona Glandis) के पीछे रखे। इस क्रिया को करते समय पत्नी को यह ध्यान रखना चाहिए कि अंगुलियों से लिंग पर दबाव उस प्रकार दें जिस प्रकार से नींबू को निचोड़ा जाता है। लेकिन इस क्रिया को तीन-चार बार से ज्यादा न करें। इस क्रिया में पत्नी के अंगूठे और अंगुलियों के दबाव की वजह से पति के स्खलन होने की क्रिया रुक जाती है। इससे लिंग की उत्तेजना की स्थिति कुछ कम हो जाती है। इसके 10 से 15 मिनट के बाद फिर से इसी प्रकार से क्रिया करनी चाहिए। ठीक इसी प्रकार से इस सेक्स क्रिया को कई बार दोहराना चाहिए। इस क्रिया से पति-पत्नी को सेक्स का भरपूर आनन्द मिलता है तथा उनका प्रेम संबंध भी गहरा होता चला जाता है। इससे पुरुष शीघ्र स्खलित नहीं होता है तथा इसके साथ ही सेक्स के प्रति आत्म-विश्वास भी जाग जाता है। इस तरीके से पत्नी पति के लिंगमुण्ड को 10 से 15 बार दबाती है तो पति शीघ्र स्खलन के भय से भी मुक्त हो जाता है। जब भय से मुक्त हो जाए तो उसे चाहिए कि अपने उत्तेजित लिंग को योनि में प्रविष्ट करें। लेकिन इस समय किसी प्रकार का घर्षण न करे और अपना ध्यान किसी खेल, कोई मनोरंजक तस्वीर या अन्य चीजों की ओर रखे। कहने का अर्थ यह है कि अपना ध्यान संभोग क्रिया की कला में बिल्कुल न हो। इस स्थिति में पत्नी का भी सहयोग आवश्यक होता है।
पत्नी को चाहिए कि वह भी शांत पड़ी रहे। किसी भी प्रकार का शारीरिक छेड़-छाड़ न करें जिससे पति उत्तेजित होकर स्खलित हो जाए। इस स्थिति में पति चाहे तो ढीली अवस्था में लेटा रह सकता है और पत्नी विपरीत आसन का प्रयोग कर सकती है। पत्नी चाहे तो इस स्थिति में पति के ऊपर अपनी योनि के अन्दर लिंग को लेकर शांत बैठी रह सकती है। इस स्थिति में लिंग उसकी योनि में पूरी तरह से समाया रहेगा, लेकिन दोनों में से कोई भी घर्षण की क्रिया न करें। इस क्रिया को करते समय जैसे ही पति को महसूस हो कि मैं स्खलित होने वाला हूं, वैसे ही उसे सनसनी महसूस होने लगेगी। ऐसा होते ही उसे अपनी पत्नी को संकेत दे देना चाहिए कि मैं स्खलित होने वाला हूं। इसके बाद पत्नी को चाहिए कि पति का संकेत पाकर तुरंत ही लिंग को योनि से बाहर निकालकर लिंगमुंड को अंगूठे तथा पहली दो अंगुलियों से पकड़कर दबाए, इससे स्खलन होना तुरंत ही रुक जाएगा। इस तरीके से सेक्स क्रिया करने से पति-पत्नी दोनों को भरपूर सेक्स का आनन्द मिलता है। इस तरीके से सेक्स क्रिया सप्ताह में एक बार ही करना चाहिए तथा इसका उपयोग लगभग 8 से 12 महीने तक कर सकते हैं। इस क्रिया को करने के लिए धैर्य और संयम की आवश्यकता होती है। इस क्रिया से किसी प्रकार का जादूई परिणाम या सफलता पाने की आशा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह कोई मदारी का खेल नहीं कि पैसा फेकों और तमासा देखों। इस आसन को सामान्य भाषा में विपरीत आसन कहा जाता है। इस आसन में सबसे मुख्य जानने वाली बात यह है कि पति की उत्तेजना को भड़काने के लिए पत्नी उसके लिंग से छेड़छाड़ करती है। इस अवस्था में पत्नी बहुत अधिक कामोत्तेजित हो जाती है और पति के स्खलन होने के साथ ही स्खलित हो जाती है या फिर पति के स्खलन होने से पहले ही स्खलित होकर भरपूर आनन्द के केंद्र में डूब जाती है। इस क्रिया में पति-पत्नी दोनों को ही भरपूर आनन्द मिलता है तथा वे दोनों ही आलिंगन, चुम्बन और एक-दूसरे से छेड़-छाड़ का खेल खेलते रहते हैं। इस क्रिया में यदि पति का स्खलन समय तीन से चार बार टल जाए तो पत्नी स्वयं घर्षण के रफ्तार को बढ़ा सकती है और अन्तिम समय तक पूरे जोश तथा शक्ति के साथ घर्षण कर सकती है। इस प्रकार से स्खलित यदि पति-पत्नी एक साथ होते हैं तो उन्हें भरपूर चरम सुख मिलता है।
4. संभोग कला के समय को बढ़ाने के लिए गणना के तकनीक को अपनाने से शीघ्र स्खलन के समस्या से छुटकारा मिल सकता है। इस तरीके को करने के लिए पति को चाहिए कि पत्नी की योनि में लिंग को डालकर कुछ छणों तक किसी भी प्रकार की कोई हरकत और न घर्षण करें। इस स्थिति में जब भी पति को लगता है कि स्खलन की स्थिति टल चुकी हैं तब उसे धीरे-धीरे लिंग का घर्षण योनि में करना चाहिए। इस क्रिया में स्ट्रोक लगाकर घर्षण करने के क्रम को गिनते जाए, जैसेकि one...two...three...four....five.. आदि। गिनती का क्रम तब तक चलते रहने दे जब तक की स्खलन होने का महसूस न हो। जैसे ही स्खलन की आशंका होने लगे, वैसे ही स्ट्रोक लगाना बंद कर दें और स्खलन होने की आशंका टल जाए तो फिर से गिनती गिनते हुए स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करना शुरू कर दें। इस प्रकार से प्रतिदिन सेक्स क्रिया करने से सेक्स करने के समय को बढ़ाया जा सकता है।
5. सेक्स क्रिया के समय को बढ़ने के लिए उल्टी गिनती गिनकर सेक्स करने के तरीके को अपनाने से लाभ मिलेगा। इस क्रिया के द्वारा सेक्स करने के लिए लिंग को योनि में प्रवेश कराके धीरे-धीरे घर्षण करें तथा घर्षण की गिनती 10 तक गिने और फिर उल्टी गिनती गिने। पहले गिनती इस प्रकार गिने-10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1 तथा इसके बाद 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20 फिर इसके बाद 20, 19, 18, 17, 16, 15, 14, 13, 12, 11, 10, 9, 8, 7, 6, ,5 ,4 ,3 , 2, 1 तक। इस क्रिया में चाहे तो 20 से 1 तक उल्टी गिनती गिन सकते हैं। इस प्रकार की सेक्स क्रिया में प्रत्येक दस बार घर्षण करने के बाद कुछ देर तक आराम करना चाहिए। इस क्रिया को कई दिनों तक करने से संभोग कला के समय को बढ़ाने में लाभ मिलता है। इस क्रिया को करने में यदि पहले दिन 40 या 50 घर्षण हो तो दूसरे दिन 60 तक ले जाएं तथा इस प्रकार से तीसरे, चौथे, पांचवे और इससे आगे के दिन घर्षण करने की संख्या को बढ़ाते चले जाएं। इस प्रकार से सेक्स करने से मस्तिष्क पर पड़ने वाला जोर हट जाता है जिसके परिणामस्वरूप वीर्य स्खलन के समय में वृद्धि होती है। इस क्रिया में यदि तीन से चार बार स्खलन होने का समय टल जाए तो संभोग करने के समय में वृद्धि हो जाती है और सेक्स करने का आनन्द हजार गुना बढ़ जाता है। इस क्रिया के द्वारा सेक्स क्रिया करने से यह लाभ मिलता है कि पत्नी एक से अधिक बार स्खलित होकर भरपूर आनन्द को प्राप्त करती है और स्वयं को भी अधिक आनन्द मिलता है।
6. वीर्य स्खलन होने के बाद दुबारा प्रयास- पति-पत्नी को सेक्स क्रिया करते समय यदि वीर्य स्खलन होने लगे तो बलपूर्वक वीर्य स्खलन रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। संभोग के समय या योनि में लिंग प्रवेश करने के बाद तुरंत ही वीर्य स्खलन हो जाता है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है और न ही घबराने की बात है। स्खलन हो जाए तो कुछ समय के लिए शरीर को ढीला छोड़ दें। लेकिन आराम पांच मिनट से अधिक न करें। इसके बाद दुबारा से पत्नी के जननेन्द्रिय अंगों से खेलते हुए मसलना, सहलाना, दबाना तथा चूमना चाहिए। इसके साथ ही पत्नी को कहे की लिंग को हाथ में लेकर दबाये, सहलाये तथा उछाले। ऐसा करने से दुबारा से लिंग उत्तेजना में आ जाता है और पुरुष सेक्स के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन इस बार यह ध्यान रखना चाहिए कि जैसे ही वीर्य स्खलन होने लगे। वैसे ही अपने ध्यान से सेक्स को हटाकर किसी और चीज पर लगा लेना चाहिए। ऐसा करने से वीर्य स्खलन होना रुक जायेगा। इस क्रिया को दो से तीन बार अजमाने के बाद लिंग को उत्तेजना में लाकर उसे योनि में प्रवेश कराये और स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करना शुरू करें। इस प्रकार से सेक्स करने से संभोग का समय लम्बा हो जाता है और सेक्स का भरपूर आनन्द मिलता है तथा पत्नी को सम्पूर्ण आनन्द मिलता है।
सेक्स क्रिया करने के दौरान कुछ आत्म-संकेत-
आत्म-संकेत एक ऐसा सूचना निर्देश है जो आज तक मनोवैज्ञानिक रहस्य बना हुआ है और इसे शिक्षित लोग भी ठीक प्रकार से समझ नहीं पाये हैं। मन के रहस्य को समझना बहुत अधिक कठिन होता है। मन की शक्ति सभी प्रकार की शक्तियों का भंडार होता है। वैसे देखा जाए तो मन के तीन स्तर होते हैं- मन, चेतन तथा उपचेतन।
चेतन मन- 
इसको मन का ऊपरी भाग कहते हैं। यदि मन को एक महासागर मान लिया जाए तो चेतन मन उसमें तैरते हुए बर्फ के पहाड़ के समान है और यदि बर्फ का पहाड़ मन है तो पानी के ऊपर दिखाई देने वाला भाग ही चेतन मन होगा तथा पहाड़ को जो भाग पानी के अन्दर डूबा हुआ है, वह अचेतन है। मनुष्य की जागी हुई अवस्था में उसका सभी कार्य, चिन्तन-मनन या क्रिया-कलाप चेतन मन द्वारा ही होता है। आज इस संसार में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जो उन्नति हुई है या जो आश्चर्यजनक सफलताएं प्राप्त हुई है, वह चेतन मन की ही देन हैं।
उपचेतन मन- 
यह चेतन और अचेतन के जड़ पर स्थित होता है और यह दोनों को जोड़ने वाली एक कड़ी होती है, जो स्मृतियों का भण्डार है। मनुष्य जो कुछ भी याद करता है वह इसी में संचित (जमा) होता है। यह स्वयंचालित होता है। बात-चीत करते समय या कुछ लिखते समय अचानक से कोई शब्द भूल जाते हैं लेकिन कुछ प्रयास करने के बाद वह शब्द याद आ जाता है। इस क्रिया में भूला हुआ शब्द तुरंत याद आ जाता है। कोई भी कार्य करते समय अचानक कोई चीज, घटना, पिक्चर या कोई व्यक्ति याद आ जाना ही उपचेतन का कार्य कहलाता है। बैठे-बैठे किसी की कल्पनाओं में खो जाना या किसी कार्य में खो जाना उपचेतन की एक लीला कहलाती है। वैसे देखा जाए तो यह पानी में डूबे उस पानी के समान होता है जो पानी की ऊपरी सतह को छूते (स्पर्श) रहते हैं।
अचेतन मन – 
यह मन का वह जादुई भाग होता है जो एक रहस्यमय है। यह अनंत शक्ति का भण्डार होता है लेकिन अचेतन मन की शक्ति निष्क्रिय पड़ी रहती है। इसके क्रियाशील या जाग्रति हो जाने पर मनुष्य में अदभुत शक्तियां उत्पन्न हो जाती हैं और वह बहुत से ऐसे अदभुत कार्य को करने में सक्षम हो जाता है जिन्हें चमत्कार कहा जाता है। इसी अचेतन मन को प्रभावित करने के कई तरीको में से एक तरीका वह है जो आत्म संकेत या स्वयं संकेत कहलाता है। जिस व्यक्ति में इस प्रकार की इच्छा शक्ति उत्पन्न हो जाती है, वह किसी भी कार्य को करने में हिम्मत नहीं हारता है। वह जिस किसी कार्य में अपने हाथ को अजमाता है उसमें ही सफलता प्राप्त करता है।
वैसे आत्म-संकेत प्राप्त करना कोई कठिन कार्य नहीं होता है। इसके प्रभाव से आत्म-विश्वास में मजबूती आती है। इसके प्रभाव से घनघोर अन्धकार में भी उजाला उत्पन्न हो जाता है अर्थात आत्मविश्वास के कारण साहस उत्पन्न होता है। यदि किसी व्यक्ति में आत्म-संकेत की प्राप्ति हो जाए तो वह अकेला ही कब्रिस्तान में सो सकता है। ठीक इसी प्रकार सेक्स क्रिया करते समय पुरुष को अपने मन में यह आत्म-विश्वास रखना चाहिए कि मेरा वीर्य शीघ्र स्खलित नहीं होगा और मैं अपनी पत्नी को पूरी तरह से संतुष्ट करने में सक्षम हूं, हम दोनों पति-पत्नी का संभोग करने का समय लम्बा होगा तथा स्खलन पर मेरा पूरी तरह से नियंत्रण रहेगा। इस प्रकार की भावना अपने मन में कई बार करते रहे, चाहे आप बैठे हो, चल रहे हो या सोने के लिए बिस्तर पर लेटे हो। इस भावना को दोहराते रहे लेकिन माला न जपें। सोते समय भी इस भावना को तब तक दोहराते रहें जब तक की नींद न आ जाये।
आत्म-संकेत के लिए बार-बार प्रयास करने से आपकी भावना अचेतन मन में प्रवेश कर जाएगी और आत्म-विश्वास भी उत्पन्न हो जाएगा। लेकिन यह कार्य दो-चार दिनों का नहीं करना चाहिए। यह भावना स्वयं अपने मन को ही देना चाहिए। ध्यान को केन्द्रित करके इस भावना को दोहराते रहिये, इसके फलस्वरूप तीन से छः महीने के अन्दर आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी। इसके फलस्वरूप शीघ्रपतन भी दूर हो जाएगा। इसके प्रयोग से पति-पत्नी का सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलता है और पति-पत्नी को भरपूर सेक्स का आनन्द मिलता है।
पत्नी द्वारा सेक्स क्रिया में सकारात्मक संकेत-
इस प्रकार के संकेत को करने के लिए पत्नी को चाहिए कि जब पति गहरी नींद में सो रहा हो तब उसके कान में धीरे-धीरे फुस-फुसाते हुए कहें कि आप में पूर्ण पौरुष शक्ति विद्यमान है, आप देर तक संभोग क्रिया कर सकते हैं, आप जल्दी स्खलित नहीं होंगे, आप मुझे पूरी तरह से सेक्स का आनन्द दे सकते हैं। इस प्रकार की बातें पत्नी को प्रत्येक रात में कम से कम तीन-चार बार पति को अवश्य कहनी चाहिए।
इसके लिए मैं आपको एक बात यह भी बताना चाहूंगा कि जब भी पुरुष सो जाता है तब उसका चेतन मन तो निष्क्रिय हो जाता है, लेकिन अवचेतन मन पूर्ण रूप से क्रियाशील बना रहता है। अचेतन मन में दबी हुई इच्छाएं ही स्वप्न में बदलकर प्रकट होती हैं और दबी हुई इच्छाएं ही पूर्ण हो जाती हैं। इसलिए आपके द्वारा दी गई भावना ही पति के अचेतन मन में प्रवेश करेगी और बार-बार कई दिनों तथा कुछ महीनों तक यदि आप धैर्य तथा संयमपूर्वक भावना देती रहेंगी तो उनका अचेतन मन क्रियाशील हो जाएगा और आपके पति में सेक्स के प्रति आत्म-विश्वास जाग उठेगा। इससे पति को शीघ्रपतन से छुटकारा भी मिल जाएगा तथा उनमें सेक्स क्रिया करने की क्षमता में भी वृद्धि हो जाएगी। इसके प्रयोग से आपके दाम्पत्य जीवन में रंगीन उमंग, उल्लास तथा आनन्द का संचार होने लगेगा।
लिंग मुण्ड का संवेदनशील हो जाना-
बहुत से ऐसे पुरुष होते हैं जिनका लिंग बहुत अधिक संवेदनशील होता है और जब स्त्री की गर्म, गीली तथा उत्तेजित योनि से उसका सम्पर्क होता है तो वे बहुत अधिक कामोत्तेजक होकर स्खलित हो जाते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप अपने लिंगमुण्ड की त्वचा को नीचे की ओर खिसका करके खुला रखें। यदि लिंगमुण्ड अधिक ढीला हो और छल्ले से फिसलकर लिंगमुण्ड को बार-बार ढक लेता हो तो खतना कर लेना अच्छा होता है। खतना करा लेने से लिंगमुण्ड स्थायी रूप से खुला रहेगा और कपड़ों को लगातार घर्षण से उसकी अतिसंवेदनशीलता कुछ दिनों में खत्म हो जायेगी और संभोग भी अधिक समय तक चलेगा। खतना कर लेना लिंग की सफाई रखने की दृष्टि से भी आवश्यक है। लिंगमुण्ड को सभी समय ढके रहने से छल्ले के पीछे एक श्वेत रंग का मैल जमने लगता है जो बदबू उत्पन्न करने के अतिरिक्त कभी-कभी खुजली भी उत्पन्न कर देता है। इससे संक्रमण की भी आशंका बनी रहती है। इसलिए खतना करायें या न करायें लेकिन लिंग-मुण्ड को हमेशा खुला रखें।
लिंग की अतिसंवेदनशीलता को दूर करने के लिए एक यह तरीका है कि एक कटोरे में गर्म पानी लें और दूसरे कटोरे में ठंडा पानी लें। ध्यान रखे कि पानी इतना गर्म हो जितना लिंग की त्वचा सह सके, ज्यादा गर्म पानी से लिंग में जलन हो सकती है। दूसरे कटोरों में भी पानी ज्यादा ठंडा न लें। इस क्रिया को करने के लिए शुरू में पानी उतना ही गर्म तथा ठंडा रखें कि आसानी से सहन हो जाये। बाद में धीरे-धीरे पानी की उष्णता एवं शीतलता बढ़ाई जा सकती है। लेकिन हर स्थिति में सहनशीलता का ध्यान रखें अन्यथा लाभ के बजाय हानि हो सकती है। क्रिया को करने के लिए पहले अपने लिंग को गर्म पानी में डुबायें और लगभग 30 सेकण्ड तक डुबाकर रखें। इसके बाद लिंग को पानी से निकालकर ठंडे पानी के कटोरे में डुबा दें। इस बार भी लगभग 30 सेकण्ड तक लिंग को पानी में डुबाकर रखे। इस क्रिया को पहले दिन कम से कम पांच बार करें। इस क्रिया में यह ध्यान रखें कि अण्डकोष न तो पानी से स्पर्श करें और न ही कटोरी को। पानी में केवल लिंग को ही डुबायें और इस क्रिया को प्रतिदिन बढ़ाते जाए। धीरे-धीरे इस क्रिया का अभ्यास हो जाने तथा सहनशीलता बढ़ जाने पर लिंग को लगभग दो मिनट तक पानी में डुबाए रखें।
आप कभी भी इस बात से भयभीत न हो कि पानी में इस तरह से लिंग डुबाने से हानिकारक प्रभाव हो सकता है। यह क्रिया पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। क्योंकि ठंडे पानी से रक्त का प्रवाह त्वचा की ओर तेज गति से होता है और गर्म पानी से रक्त का प्रवाह पीछे की ओर हटता है। अतः कहा जा सकता है कि ठंडे पानी और गर्म पानी के प्रयोग से लिंग की रक्तवाहिनियों तथा शिराओं में रक्त संचार की गति तेज हो जायेगी और लिंग में एक प्रकार की नई शक्ति तथा चेतना का संचार होगा तथा इसके साथ ही लिंग-मुण्ड की संवेदनशीलता भी खत्म हो जाती है। इस क्रिया को करने के फलस्वरुप संभोग को देर तक बनाए रखना तथा योनि में लिंग से तेज गति से घर्षण करने की शक्ति में वृद्धि भी हो जाती है।
सूर्य स्नान क्रिया से सेक्स शक्ति को बढ़ाना-
सूर्य स्नान की क्रिया को अपनाने से यौन-शक्ति में वृद्धि होती है। इस क्रिया को करने के लिए सूर्य के किरणों को लिंग पर पड़ने देना चाहिए। सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता है। जब सूर्य की किरणों को लिंग पर डाला जाता है तो इसके साथ ही मुक्त हवा का प्रभाव पड़ता है जिसमें उसमें रक्तंचार की क्रिया को तेज हो जाती है तथा इससे नई शक्ति भी जाग जाती है। यदि लिंग को नंगा रखना संभव न हो तो एक पतले कपड़े से ढ़ककर रखा जा सकता है। इस क्रिया को 5 मिनट से लेकर 30 मिनट तक कर सकते हैं।
सिट्ज बाथ द्वारा यौन-शक्ति में वृद्धि करना-
सिट्ज बाथ करने के लिए ठंडे तथा गर्म पानी का उपयोग किया जा सकता है। इस बाथ को करने से संभोग क्रिया के समय में वृद्धि होती है तथा पौरुष शक्ति का भी विकास होता है। यह क्रिया एक प्रकार की जल चिकित्सा की क्रिया है जो वीर्य तथा पौरुष शक्ति की वृद्धि के लिए उपयोग में ली जाती है। इस बाथ की क्रिया को कम से कम पांच मिनट तक पानी के तापमान के अनुसार करना चाहिए। यह एक प्रकार की स्नान करने की क्रिया होती है।
इस स्नान को करने के लिए सुबह का समय अच्छा होता है लेकिन इसे करने के लिए समय का कोई बंधन नहीं होता है। वैसे सुविधा के अनुसार इस क्रिया का प्रयोग किसी भी समय किया जा सकता है। इस स्नान की क्रिया में गर्म और ठंडे पानी का स्नान एक के बाद एक करते रहना चाहिए। गर्म पानी का तापमान 110 डिग्री से लेकर 115 डिग्री फारेनहाइट तक होना चाहिए।
सिट्ज बाथ को करने के लिए एक टब में पानी भर ले, ध्यान रहे कि टब का पानी इतना रहे कि पेट तक का भाग उसमें डूब जाये। सिट्ज बाथ करने के लिए उस तरीके का इस्तेमाल करें, जिसमें पेट तो पानी में रहे लेकिन टांगे टब के बाहर ही रखे। यह क्रिया 8 से 10 मिनट तक करते रहना चाहिए। ठंडे तथा गर्म पानी का टब एक-दूसरे के पास ही रखे ताकि एक से निकालकर दूसरे में आसानी से बैठना सम्भव हो। प्रत्येक टब में 8 से 10 मिनट तक सिट्ज बाथ करने से सेक्स क्रिया के समय तथा पौरुष शक्ति में वृद्धि हो होती है। इसके प्रयोग से अंडकोष, कब्ज, मूत्र से सम्बंधित रोग तथा अंडकोष की वृद्धि आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

Thursday 14 July 2016

जानिए राशि अनुसार कैसा होता है महिलाओं का ‘सेक्‍स व्यवहार’

ज्‍योतिष के मुताबिक विश्‍व में हर व्‍यक्ति पर ग्रहों का प्रभाव होता है। उसके जन्‍म स्‍थान व समय का उसके जीवन व व्‍यवहार पर सीधा असर पड़ता है। हम यहां बात करेंगे महिलाओं के सेक्‍सुअल बिहेवियर यानी महिलाओं में सेक्‍स के प्रति उत्‍साह किस तरह राशियों के साथ बदलता है।

मेष: मेष राशि वाली महिलाओं का माथा और मुख काफी संवेदनशील होता है। इन जगहों पर चुंबन लेने से वो सेक्‍स के प्रति काफी जल्‍दी उत्‍तेजित हो जाती हैं। उनके बालों पर धीरे-धेरी स्‍पर्श, उनके होठों व गाल पर चुंबन और कान पर स्‍पर्श उन्‍हें सेक्‍स के प्रति उत्‍तेजित करता है।

वृषभ: वृषभ राशि वाली महिलाओं की गर्दन सेक्‍स के प्रति काफी संवेदनशील होती है। यदि आप उन्‍हें सेक्‍स के प्रति उत्‍तेजित करना चाहते हैं तो उनकी गर्दन पर चुंबन से शुरुआत करें। यदि आप उन्‍हें एक सुंदर हार तोहफे में देते हैं, तो वो आपकी तरफ खिंची चली आयेंगी।

मिथुन: मिथुन राशि वाली महिलाओं के हाथ, खास तौर से हथेली काफी संवेदनशील होती हैं। उनकी उंगलियों, हथेली, हाथ पर चुंबन लेने से वो सेक्‍स के प्रति आसानी से उत्‍तेजित हो उजाती हैं। उनकी उंगलियों को मुंह में चूसना, उंगलियों से फोर प्‍ले करना और उनके कंधों पर चुंबन लेना उन्‍हें तेजी से उत्‍तेजित करता है।

कर्क: कर्क राशि वाली महिलाएं आसानी से सेक्‍स के प्रति उत्‍तेजित नहीं होतीं। सेक्‍स के प्रति सबसे संवेदनशील भाग उनके वक्ष होते हैं। उनके वक्षों को स्‍पर्श कर आप उन्‍हें संभोग के लिए आसानी से प्रेरित कर सकते हैं।

सिंह: सिंह राशि वाली महिलाओं की पीठ सेक्‍स के प्रति सबसे संवेदनशील जगह होती है। आप अगर उनकी पीठ पर सुनहरा स्‍पर्श करते हैं, तो वो आसानी से सेक्‍स के प्रति उत्‍तेजित हो जाती हैं। उनकी पीठ और फिर उनके हिप्‍स पर स्‍पर्श उन्‍हें सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचाता है।

कन्‍या: कन्‍या राशि वालों के पेट पर एक चुंबन उनके अंदर सेक्‍स की तीव्र इच्‍छा पैदा करता है। उनका पेट सेक्‍स के प्रति सबसे संवेदनशील भाग होता है। पेट पर स्‍पर्श और मसाज से आप उन्‍हें उत्‍तेजित कर सकते हैं।

तुला: तुला राशि वाली महिलाओं की पीठ का निचला हिस्‍सा काफी संवेदनशील होता है। तुला राशि वाली महिलाओं को सेक्‍स के लिए उत्‍तेजित करने के लिए हिप्‍स के ठीक ऊपर के भाग में स्‍पर्श करने से उत्‍तेजना पैदा होती है।

वृश्चिक: वृश्चिक राशि वाली महिलाओं योनि सेक्‍स के लिए सबसे ज्‍यादा संवेदनशील होती है। धीरे-धीरे स्‍पर्श एवं मसाज से वो बहुत जल्‍द उत्‍तेजित हो उठती हैं। यही कारण है कि वृश्चिक राशि वाली महिलाओं को सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में काफी समय लगता है।

धनु: धनु राशि वाली महिलाएं लंबे समय तक फोरप्‍ले पसंद करती हैं। उनके लिए जांघ सबसे ज्‍यादा संवेदनशील अंग होता है। जांघ पर स्‍पर्श करने से वो काफी तेजी से उत्‍तेजित हो जाती हैं।

मकर: मकर राशि वाली महिलाओं के पैर सबसे ज्‍यादा संवेदनशील होते हैं। पैर के किसी भी भाग पर स्‍पर्श और चुंबन से वो जल्‍द उत्‍तेजित हो उठती हैं।

कुंभ: कुंभ राशि वाली महिलाओं की कोहनी और कंधे पर छोटा सा स्‍पर्श उन्‍हें उत्‍तेजित कर देता है।

मीन: मीन राशि वाली महिलाओं के पैर के निचले हिस्‍से में स्‍पर्श, चुंबन या मसाज से सेक्‍स के प्रति उत्‍तेजना बढ़ती है। धीरे-धीरे एड़ी से शुरुआत कर आप उन्‍हें संभोग के लिए आसानी से आकर्षित कर सकते हैं।

जानिए राशि अनुसार कैसा होता है पुरुषों का ‘सेक्‍स व्यवहार’

ज्‍योतिष के मुताबिक विश्‍व में हर व्‍यक्ति पर ग्रहों का प्रभाव होता है। उसके जन्‍म स्‍थान व समय का उसके जीवन व व्‍यवहार पर सीधा असर पड़ता है। हम यहां बात करेंगे की पुरुषों का सेक्‍सुअल बिहेवियर किस तरह राशियों के साथ बदलता है।

मेष : मेष राशि वाले काफी हॉट एवं कामुक होते हैं। इन्‍हें ज्‍यादा लंबे समय तक सेक्‍स नहीं पसंद होता। कम समय में ज्‍यादा लुत्‍फ उठाने वाले इन लोगों में संभोग के दौरान एक अलग सी आग होती है। संभोग के लिए काफी जल्‍दी उत्‍तेजित भी हो जाते हैं। यदि इनका पार्टनर मेष राशि वाला हो तो प्‍यार का अहसास कई गुना बढ़ जाता है।

वृषभ : संभोग के दौरान वृषभ राशि वाले सेक्‍स की चरम सीमा तक काफी देर से पहुंचते हैं। यदि आप अचानक इन्‍हें सेक्‍स के लिए उत्‍तेजित करना चाहें तो भी ये उत्‍तेजित नहीं होते। इन्‍हें संभोग से पहले फोरप्‍ले व ओरल सेक्‍स पसंद होता है। चुंबन में ये काफी एक्‍सपर्ट होते हैं। इन्‍हें सेक्‍स के लिए मनाना काफी कठिन होता है।

मिथुन : जेमिनी हमेशा सेक्‍सुअली एक्टिव होते हैं। संभोग के दौरान पार्टनर से बातें करना इन्‍हें पसंद होता है। ये हमेशा संभोग के लिए तैयार रहते हैं। चरमसीमा तक पहुंचने में भी ये काफी माहिर होते हैं। इन्‍हें उत्‍तेजित करना भी काफी आसान होता है। एक से अधिक लोगों के साथ यौन संबंध बनना काफी आम होता है। ये अपने पार्टनर को संतुष्‍ट करना अच्‍छी तरह जानते हैं।

कर्क : कर्क राशि वाले लोग बहुत ज्‍यादा भावुक एवं मानसिक तौर पर संवेदनशील होने की वजह से यौन क्रियाओं का सुख उठाने में पीछे रह जाते हैं। ये काफी मूडी होते हैं। ये अपने पार्टनर की संतुष्टि से ज्‍यादा अपनी संतुष्टि पर ध्‍यान देते हैं। यही कारण है कि इनकी सेक्‍स लाइफ नीरस होती है। हां अगर ये मूड में आ जायें तो यौन सुख देने में सबसे आगे रहते हैं।

सिंह : सिंह राशि वाले तब तक संभोग के लिए आगे नहीं बढ़ते जब तक पार्टनर की ओर से सिगनल नहीं मिलता। संभोग के दौरान ये काफी ऊर्जावान होते हैं। कई बार संभोग के दौरान ये इतने ज्‍यादा उत्‍तेजित हो जाते हैं, कि इन्‍हें किसी भी बात का खयाल नहीं रहता। ये अपने पार्टनर को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं।

कन्‍या : इनके अंदर सेक्‍स की भूख काफी होती है, लिहाजा फोरसेक्‍स या ओरल सेक्‍स में ज्‍यादा समय नष्‍ट नहीं करते। ये भी काफी मूडी होते हैं। अगर मूड नहीं है, तो चाहे उनके पार्टनर कुछ भी कर लें, ये संभोग नहीं करते। ये सिर्फ विश्‍वस्‍त पार्टन से ही सेक्‍स करते हैं।

तुला : तुला राशि वाले अपने पार्टनर को हमेशा संतुष्‍ट करते हैं। ये अपने पार्टनर की इच्‍छा पर ही संभोग के लिए आगे बढ़ते हैं। ये आसानी से आकर्षित हो जाते हैं, लिहाजा यौन क्रिया की चरमसीमा तक पहुंचने में इन्‍हें दिक्‍कत नहीं होती। संभोग के दौरान बाते करना पसंद नहीं करते।

वृश्चिक : वृश्चिक राशि वालों के अंदर संभोग के प्रति भूख बहुत ज्‍यादा होती है, लेकिन वो भी उनके मूड पर निर्भर करता है। ये लोग बहुत ज्‍यादा भावुक होने के कारण आसानी से सेक्‍स करते। इनके पार्टनर अपनी सेक्‍स लाइफ को लेकर काफी परेशान रहते हैं। इनके सबसे अच्‍छे यौन संबंध वृश्चिक राशि वालों के साथ ही बनते हैं।

धनु : धनु राशि वाले काफी उत्‍साहवर्धक होते हैं। यौन जीवन को खुलकर जीने वाले होते हैं और बहुत जल्‍द सेक्‍स के लिए तैयार भी हो जाते हैं। इन्‍हें चुंबन या फोरप्‍ले ज्‍यादा पसंद नहीं होता। सीधे संभोग में इन्‍हें ज्‍यादा मजा आता है। इनके अंदर उत्‍तेजित करने वाली फीलिंग्‍स कूट-कूट कर भरी होती हैं। आसानी से चरम सीमा तक पहुंच जाते हैं।

मकर : मकर राशि वाले लोग सेक्‍स लाइफ में काफी सावधानीपूर्वक चलते हैं। ये सही व्‍यक्ति से ही यौन संबंध स्‍थापित करते हैं। दूसरों के लिए इनमें कोई रुचि नहीं होती। ईमानदार सेक्‍स लाइफ ही इनका मंत्र है। ओरल सेक्‍स इन्‍हें काफी पसंद होता है। पार्टनर की इच्‍छाओं का खयाल रखने के मामले में ये थोड़े से लापरवाह होते हैं।

कुंभ : कुंभ राशि वाले सेक्‍स लाइफ में प्रयोग करना पसंद करते हैं। कई बार संभोग के दौरान ये इतने ज्‍यादा उत्‍तेजित हो जाते हैं, कि इन्‍हें किसी भी बात का खयाल नहीं रहता। संभोग के दौरान बाते करना पसंद नहीं करते। ये अपने पार्टनर की संतुष्टि से ज्‍यादा अपनी संतुष्टि पर ध्‍यान देते हैं।

मीन : संभोग के लिये ये हमेशा तैयार रहते हैं। मीन राशि वाले अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने में काफी आगे रहते हैं। लिहाजा अपने पार्टनर को संतुष्‍ट करना भी इन्‍हें अच्‍छी तरह आता है। इन्‍हें अलग-अलग तरह की क्रियाओं में संभोग करना पसंद होता है। मीन राशि वालों को सेक्‍स का सबसे सुखद ऐहसास इसी राशि वाले पार्टनर के साथ होता है।

Sunday 10 July 2016

लड़कियों को पसंद आता है कुछ इन अंदाज़ में किस करना

किस करना सिर्फ लड़कों को ही अच्छा नहीं लगता बल्कि लड़कियां भी किस की दीवानी होती है. प्यार में किस एक आम बात है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि आपके साथी को कोन से टाइप का किस पसंद है? अगर नहीं पता तो हम आज आपको यह राज बताते है.
दरअसल लड़कियां अपने साथी को लंबा किस करना चाहती है. आप माने या ना माने लेकिन सच्चाई यही है कि लड़कियां अपने प्रेमी के साथ लंबे किस को ज्यादा तव्वजो देती है. लड़कियां ऎसा इसलिए चाहती हैं ताकि उनकी उनके साथी के साथ एक अच्छी बांडिंग बने.
इसके अतिरिक्त लड़कियों को लम्बे किस के साथ अपने साथी को गले लगाना भी पसंद है. वह बस घंटो तक अपने प्रेमी की बाँहों में रहना चाहती है और थोड़ी थोड़ी देर पर लम्बे और रोमांटिक किस की चाह रखती है. ऎसा करने से लड़कियों का अपने साथी के साथ एक भावनात्मक जुडाव सा हो जाता है.

Saturday 16 April 2016

स्‍वप्‍नदोष को कैसे रोकें


युवाओं में स्‍वप्‍नदोष एक सामान्‍य समस्‍या है। यह हर उम्र के पुरुषों में देखने को मिलती है। इसमें कुछ भी असामान्‍य नहीं है। हालांकि, अगर आपको नियमित रूप से इस समस्‍या का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको सचेत होने की जरूरत है। इससे सेहत पर तो असर पड़ता ही है साथ ही मानसिक रूप से भी दबाव काफी बढ़ जाता है। कई पुरुषों को इस बात को लेकर संशय रहता है कि आखिर वे स्‍वप्‍नदोष की इस समस्‍या से कैसे बचें। हालांकि इस बात के कोई पुख्‍ता सबूत नहीं हैं, लेकिन स्‍वप्‍नदोष से थकान, अंडकोष में दर्द, कमजोर स्‍खलन और शीघ्रपतन जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं।

विशेषज्ञ अभी तक स्‍वप्‍नदोष के कारणों को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं हैं। हालांकि, हस्‍तमैथुन और कामुक विचारों को इसके लिए उत्‍तरदायी माना जाता है। कई लोग स्‍वप्‍नदोष से बचने के लिए हस्‍तमैथुन कम करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही कुछ घरेलू उपाय भी हैं, जिनसे इस समस्‍या को नियंत्रित करने का दावा किया जाता है। कुदरती उपायों का आमतौर पर आपके शरीर पर कोई बुरा असर नहीं होता और इनका असर भी प्रभावी होता है।

महीने में दो या तीन बार स्‍वप्‍न दोष होना सामान्‍य है। लेकिन, अगर यह समस्‍या इससे ज्‍यादा बार होती है, तो कुछ गड़बड़ होने की आशंका है।
शीघ्र पतन को भी स्‍वप्‍नदोष की समस्‍या से जोड़कर देखा जा सकता है।

कुछ गंभीर मामलों में स्‍वप्‍नदोष से पीडि़त लोगों को संभोग के दौरान लिंग निष्‍क्रिय होने की समस्‍या हो सकती है। हालांकि अभी तक इस समस्‍या से जुड़ी कोई पुख्‍ता जानकारी नहीं है। लेकिन, अधिकतर जानकार इसके पीछे अधिक कामुक विचारों को ही जिम्‍मेदार मानते हैं।
जब कई दिन तक लगातार ऑर्गेज्‍म हो जाए और लिंग को आराम करने का मौका न मिले, तो स्‍वप्‍नदोष हो सकता है।

स्‍वप्‍नदोष से कैसे बचें
कई जानकार मानते हैं कि सोने से पहले हस्‍तमैथुन करने से भी स्‍वप्‍नदोष से बचा जा सकता है। हालांकि, इस बात को लेकर विशेषज्ञों में एकराय नहीं है।
रोजाना व्‍यायाम करने से भी शारीरिक ऊर्जा का सही इस्‍तेमाल होता है और आप स्‍वप्‍नदोष से बच सकते हैं।
हालांकि, इस टिप को ज्‍यादातर विशेषज्ञ नकारते हैं, लेकिन सेक्‍स के बारे में न सोचकर और हस्‍तमैथुन की संख्‍या कम करके भी इस समस्‍या से बचा जा सकता है।
इसके साथ ही आपको सही आहार भी लेना चाहिये। विटामिन बी से भरपूर आहार लेने से भी आप इस समस्‍या से बच सकते हैं।
अपने सोने और उठने का समय भी निर्धारित करें।
अपने मन को शांत रखिये और किताबें पढ़कर, संगीत सुनकर और दोस्‍तों से बातें कीजिये और स्‍वयं को व्‍यस्‍त रखें।

स्‍वप्‍नदोष से बचने के कुदरती उपाय
रोजाना आंवले का मुरब्बा खायें और उसके ऊपर से गाजर का रस पिएं।
तुलसी की जड़ के टुकड़े को पीसकर पानी के साथ पियें। इससे लाभ होगा।
अगर जड़ नहीं मिले तो बीज 2 चम्मच शाम के समय लें।
काली तुलसी के पत्ते 10-12 रात में जल के साथ लें।
लहसुन की दो कली कुचल कर निगल जाएं। थोड़ी देर बाद गाजर का रस पिएं।
मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच और आक की छाल का चूर्ण एक चम्मच दूध के साथ लें।
रात को एक लीटर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगा दें सुबह मथकर महीन कपड़े से छानकर पीने से भी लाभ होता है।
अदरक रस 2 चम्मच, प्याज रस 3 चम्मच, शहद 2 चम्मच, गाय का घी 2 चम्मच, सबको मिलाकर सेवन करने से स्वप्नदोष तो ठीक होगा ही साथ मर्दाना ताकत भी बढ़ती है।

सेक्स में छिपे हैं स्वास्थ्य के सूत्

अनुसंधानों द्वारा यह साबित हो चुका है कि सेक्स स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह अनेक बीमारियों का ऐसा इलाज है जो न सिर्फ आनंददायक है वरन उत्साहवर्धक भी है। इससे विभिन्न तरीकों से लाभ पहुंच सकता है।



आयु बढ़ती है:
जो लोग नियमित रूप से सहवास करते हैं और जिनके मन में इसको लेकर किसी तरह की आशंकाएं नहीं हैं, वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा लंबी आयु पाते हैं जो महीने में एक बार सेक्स क्रिया करते हैं।


युवा लगते हैं:

ऐसे दंपति जो हफ्ते में तीन बार सेक्स क्रिया करते हैं, वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा युवा लगते हैं जो कभी-कभी इसे करते हैं या बिलकुल ही नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया में जो ऊर्जा लगती है उससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, रक्त प्रवाह का संचार त्वचा में प्रवाहित होता है और त्वचा की नई कोशिकाएं बनती हैं। इससे त्वचा में एक आभा उत्पन्न होती है, वह चमकने लगता है। इसके अतिरिक्त ऐसी महिलाएं जिनको मेनोपॉज हो चुका है अगर सहवास क्रिया करती रहती हैं, उन्हें गर्मी या पसीना आने की शिकायत नहीं रहती है। न ही ऐसी महिलाओं पर आयु का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।


मजबूत होती हैं हड्डियां:

'इंक्रीज योर सेक्स ड्राइव' के लेखक डॉ. सराह ब्रीवर के अनुसार, 'नियमित रूप से सहवास करने से एस्ट्रोजन लेवल बढ़ जाता है जिससे महिलाएं ओस्टियोपॉरिसिस या हड्डियों के रोग से पीडि़त नहीं होती हैं।'


सुखद नींद:

सेक्स के दौरान ऑक्सीटॉसिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसका इतना सुखद असर पड़ता है कि आप चैन की नींद सो जाती हैं। पुरुषों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है इसीलिए वे सहवास क्रिया के बाद बात करने के बजाय सोना पसंद करते हैं।


 तनाव खत्म हो जाता है:

सेक्स क्रिया के दौरान एंड्रोफस नामक एक हार्मोन शरीर से निकलता है जिसके कारण आप तनावमुक्त महसूस करती हैं। उस दौरान फिनीलेथलमाइन रसायन का स्त्राव होता है जिससे स्वस्थ होने की भावना उत्पन्न होती है। प्यार भरे रिश्ते में की गई सहवास क्रिया मन में एक उत्साह भर देती है कि कोई आपको प्यार करता है, आपकी परवाह करता है। आप ज्यादा समय खुश रहती हैं। खुशी ही तनावमुक्त रहने का सबसे कारगर उपाय है। मैक्स हेल्थ केयर सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलांजना के अनुसार, 'सेक्स के दौरान चूंकि एक निश्चिंतता होती है इसलिए पति-पत्‍‌नी दोनों ही तनावमुक्त महसूस करते हैं। हृदय गति बढ़ने से शरीर और मन में एक स्फूर्ति महसूस होती है।'


दर्द निवारक:

एंड्रोफिंस हार्मोन प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में कार्य करता है। बढ़ते हुए एस्ट्रोजन स्तर से प्री-मेन्सट्रुअल सिंड्रोम और मासिक स्त्राव के समय होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। इससे अनियमित मासिक चक्र भी नियमित हो जाता है। अध्ययनों से पता लगा है कि सहवास करने से आर्थराइटिस से पीडि़त महिलाओं को भी आराम मिलता है। इससे होने वाली अनुभूति से सिरदर्द और माइग्रेन तक दूर हो जाता है। इसलिए अगली बार सिरदर्द होने का बहाना बनाकर इससे बचने की कोशिश न करें। सर्दी-जुखाम भी इससे दूर हो जाता है।





शक्ति बढ़ती है:

ऑर्गेज्म के दौरान ताजा खून सारे शरीर में फैल जाता है, यहां तक कि दिमाग में भी। इससे उस क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ जाता है। सर्वेक्षणों से पता चला है कि इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ने से वह ज्यादा कठिन काम कर सकता है। विभिन्न हार्मोन मानसिक शक्ति में बढ़ोतरी करते हैं।


व्यायाम भी है:

एक तरफ जहां व्यायाम करने से आपके सेक्स जीवन में सुधार आता है वहीं यह खुद एक प्रभावशाली व्यायाम है। सेक्स मांसपेशियों की टोनिंग करने में मदद करता है। तीस मिनट की सेक्स प्रक्रिया के दौरान एक आम व्यक्ति की करीब दो सौ कैलोरी खर्च होती हैं। यानी अगर आप प्रतिदिन इसे करते हैं तो हर दो हफ्ते बाद आपका आधा किलो वजन घट सकता है। अगर आप एक साल तक हफ्ते में तीन बार इसे करते हैं तो यह दो सौ किलोमीटर दौड़ने के बराबर होता है।





हृदय रोग से बचाव:

हृदय रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि हफ्ते में तीन बार कम से कम बीस मिनट तक सेक्स क्रिया करने से हार्ट अटैक होने का खतरा कम हो जाता है। इससे हृदय गति में भी सुधार होता है। अपोलो अस्पताल की मनोवैज्ञानिक डॉ. एकता सोनी के अनुसार, 'जब मानसिक स्थिति ठीक रहती है तो व्यक्ति सकारात्मक दिशा में सोचता है। पति-पत्‍‌नी को जब यह महसूस होता है कि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है तो वे डिप्रेशन के शिकार नहीं होते। इससे निजी संबंध भी पुख्ता होते हैं।' 

Tuesday 22 March 2016

Shighrapatan ko rokne ke liye Natural tarike

Agar koi purush khud ko sex ke dauran virya ke  jaldi nikal jane se nahi rok sakta hain to usay Shighrapatan kaha jata hain. Aise mein vah apne partner ko pura enjoy nahi kara pata hain.  Shighrapatan ki samsya badhti umar ke purusho mein sabse jyada hoti hain. Halaki yeh La-ilaj nahi hain, Lekin isse pidit purush depression ka shikar ho jate hain.


Agar koi purush is samsya se grasit hain to usay doctor ke samne khul kar is samsya ke baare mein batana chahiye. Is samsya ke hone ka matlab bilkul yeh nahi hain ki aapki sex life barbad ho gyi hain. Vaise kai gharelu nuskhe bhi hain jo aapko is samsya se nijat dila sakte hain.


Shigharpatan ke ilaj ke liye desi nuskhe :- 

1. Pyaz :- Pyaz mein aise gun hote hain jo sharir ki yaun samsyaon ko door karte hain. Hara aur samanya pyaz dono hi tarah ke pyaz faydemand hote hain. Hare pyaaz ke beej ko ek glass paani mein gholkar pee jaye. Ise bhojan karne se pahle le, Isse sharir mein takat aati hain. Kaccha pyaz jyada khaye.


2. Ashvagandha :- Ashavgandha ek prachin aushadhi hain jo ki Bharat mein kai varsho se parchlit hain. Isse kai prakar ke  yaun samsyaen door hoti hain. Is herb ke sewan se Libido ki matra badh jati hain jo shighrapatan mein aaraam dilwata hain. Iske sewan se sharirik majbooti aati hain aur Napunsakta door hoti hain.


3. Adrak aur Shahad : - Adrak, Sharir mein garmi lati hain aur blood circulation sahi rakhta hain. Ek chammach Adrak paste le aur ise Shahad ke saath chaat jaye. Chahe to aap Doodh bhi mila sakte hain. Isse labh milta hain. Aisa sone se pahle aap ise kare.

4. Bhindi :- Bhindi se bana powder, Shighrapatan ki samsya mein Ramban hota hain. Iske 10 Gram powder ko lekar 1 glass milk mein gholkar pee jaye. Aap chahe to isme 2 chammach Shakkar bhi daal sakte hain. Ise aap rojana raat ko piye. Aisa ek mahine tak lagatar kare, Aapko fayda hoga.

 5. Kaccha Lahsun :- Kaccha Lahsun purusho mein hone wali kai samsyaon ko door karta hain. Din mein 4 kaliya chabaye. Isse is samsya se jald chhutkara milega. Aap chahe to Lahsun ki kali ko Gaay ke Desi Ghee mein fry karke kha sakte hain.


6. Gajar aur Anda :- 2 Gajar kaate aur usme ek ubla Anda milaye. Isme 1 Chammach Shahad dale. Ise rojana 3-4 Mahine tak khaye. Aapko apne sex ke dauran thoda-thoda fark mahsoos hoga. Agar ek baar Shighrapatan ki samsya niyantrit ho jati hain to aapko is upchar ko kam kar dena chahiye.


7. Prakritik kamottejak : - Prakritik kaamottejak , aapki kaameksha mein sudhar la sakta hain aur aapko shighrapatan ki samsya se aaram dila sakta hain. Agar aap Shighrapatan ki samsya se joojh rahe hain to Prakritik Kaamotejak ke roop mein Gajar, Kela, Saunf, Ajwain, Lahsun, Adrak aadi khaye.


8. Castor Oil :- Purusho mein shighrapatan ki samsya, Prostate se related hoti hain. Prostate ki samsyaon ko control karne ke liye Castor Oil Yani ki Erand ka Tel (Redi ka Tel) ka upyog karna labhdayak hota hain. Ise penis ke upari hisse par acchi tarah se tel laga kar malish karne se shighrapatan door ho jati hain.